आज का विचार

वह ईश्वर अकाम ( सब कामनाओं से रहित) धीर, अमृत (अमर), स्वयम्भू, स्वयं ही अपनी सत्ता से प्रकट होने वाला), रस अर्थात आनंद से सर्वथा परिपूर्ण है कही से भी न्यून (अपूर्ण) नहीं है। उस अजर अमर सदा युवा परमात्मा को जानने वाला मनुष्य मृत्यु से नहीं डरता है।