जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा

मैं भगवान् की दिव्य सन्तान हूँ। मेरा जीवन भगवान् के विधान के अनुरूप ही रहेगा। मैं भगवान् का प्रतिनिधि, प्रतिरूप या मूर्त रूप हूँ। मैं ऋषि-ऋषिकाओं एवं वीर-वीराङ्गनाओं की दिव्य वीर सन्तान हूँ। मैं उन्हीं का वर्तमान या मूर्त रूप हूँ। मैं स्वयं ऋषि-ऋषिका हूँ, मेरा ज्ञान, जीवन, पुरुषार्थ व परमार्थ या समग्र आचरण ऋषियों जैसा ही रहेगा। यह विचार या संकल्प हमारे प्रत्येक योगी भाई-बहन को प्रतिदिन उठते ही अवश्य करना है। इसी से उच्च चेतना में जीने का अभ्यास प्रारम्भ हो जायेगा।

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प्रभात संकल्प

  • मैं गुरु सत्ता व भागवत सत्ता एवं ईश्वरीय न्याय व्यवस्था में अपनी निष्ठा अखण्ड रखूंगा। मैं गुरु सत्ता व शाश्वत के एक आदर्श प्रतिनिधि के अनुरूप ही अपना सम्पूर्ण व्यवहार व आचरण करूँगा। मैं 24 घंटा ब्रह्मभाव में रहूँगा, मैं सब सम्बन्धों में ब्रह्म सम्बन्ध, सब रूपों में ब्रह्मरूप तथा सब सुखों में ब्रह्मसुख का अनुभव करूँगा। 'ईशावास्यमिदं सर्वम्, 'वासुदेवः सर्वम्', 'सियाराममय सब जग जानी'।
  • मैं अपने जीवन व मन में एक क्षण के लिए भी अज्ञान, अपवित्रता आलस्य व अविश्वास (निराशा) को स्थान नहीं दूँगा। क्योंकि जीवन में दुःख, दरिद्रता, अशान्ति व दुर्गति के ये ही कारण हैं। 'परोऽपेहि मनस्पाप किमशस्तानि शंससि'। 'अहमिन्द्रो न पराजिग्ये', 'कृतं मे दक्षिणे हस्ते जयो मे सव्य आहितः'।
  • मैं व्यष्टि व समष्टि में अर्थात् व्यक्ति व व्यवस्था में भगवत्ता अर्थात् भगवान् का साम्राज्य व ईश्वरीय न्याय व्यवस्था को प्रतिष्ठापित करने हेतु संकल्पित रहूँगा। सैल्फ रियलाइजेशन एवं कलैक्टिव रियलाइजेशन की साधना के सिद्धान्त में पूर्ण आस्था रखूँगा। इन्द्रं वर्धन्तोऽप्तुरः कृण्वन्तो विश्वमार्यम्। अपघ्नन्तोऽराव्णः।
  • अपने पूर्वज ऋषि-ऋषिकाओं एवं वीर-वीराङ्ग‌नाओं कोआदर्श मानते हुए मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि जीवन पर पहला अधिकार भगवान् का है, दूसरा मातृभूमि का तथा तीसरा माता-पिता व गुरु का तथा अन्त में मेरा स्वयं का है। अतः हर पल आत्मा में परमात्मा की जो प्रेरणा, पुकार या आदेश उठता है उसी के अनुरूप मैं आचरण करूँगा। अपने पूर्वजों की तरह जीवन जीऊँगा।
  • योग, आयुर्वेद, स्वदेशी, शिक्षा व संस्कारों के द्वारा, निष्काम सेवा से मैं अपने जीवन व जगत् को पुण्यों से प्रकाशित करूँगा। प्रभात संकल्प के बाद प्राणों के साथ प्रणव का ध्यान करते हुए ध्यान योग से मैं दिव्य जीवन की साधना करूँगा।