योग सार्वभौमिक, सार्वकालिक एवं सार्वजानिक महत्त्व की ऋषि-मुनियों की एक अनमोल विरासत है। “योगः कर्मसु कौशलम्” कर्मों की कुशलता ही योग है| इस योग को जीवन में अपनाने से बन्धन स्वभाव वाले कर्म भी योगी को बन्धन में नहीं डाल पाते हैं। शुद्ध ज्ञान, शुद्ध कर्म एवं शुद्ध उपासना अर्थात् ज्ञानयोग, कर्मयोग एवं भक्तियोग - यह योग की त्रिवेणी है। यह मात्र एक ऐसा दर्शन है, जिसके सबल सैद्धान्तिक पक्ष का ही नहीं अपितु उन्हें बोध् कराने वाले क्रियात्मक साधनों का भी ऋषियों ने प्रतिपादन किया है, जिन्हें आचरण में लाकर प्रत्येक मनुष्य अपना कल्याण अपने हाथों करने की योग्यता व क्षमता प्राप्त कर लेता है।
भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में 100 करोड़ से अधिक लोगों तक तथा दुनियाँ के लगभग 200 देशों तक योग का संदेश पहुँचाने वाले महायोगी, युगद्रष्टा, क्रान्तिकारी राष्ट्रसंत जिन्होंने कैंसर, मोटापा, बी.पी, सुगर, आर्थराईटिस, अस्थमा एवं डिप्रेशन आदि रोगों से पीड़ित करोड़ों लोगों को रोग एवं नशा आदि से मुक्त कराके नया जीवन प्रदान किया है, साथ ही करोड़ों सोये हुए भारतीयों को स्वास्थ्य प्रदान कर उनके भीतर अपने स्वर्णिम अतीत एवं उज्जवल भविष्य के लिए स्वाभिमान जगाया है,
यह एक पच्चीस दिवसीय योग प्रशिक्षण शिविर है जो भारत के प्रत्येक जनपद में पतंजलि योग परिवार के भारत स्वाभिमान संगठन एवं अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा समय–समय पर आयोजित की जाती है। इसमें योग साधक को अष्टांग योग के क्रियात्मक व सैध्दांतिक पक्ष, भारतीय दर्शन, गीता, वेद-वेदांग, उपनिषद से चयनित विषयों एवं एक्यूप्रेशर तथा प्राकृतिक चिकित्सा का समुचित प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। सह योग शिक्षक शिविर के लिए न्यूनतम् ₹1099/ की सहयोग राशि देय है। इस शिविर में पतंजलि योगपीठ हरिद्वार मुख्यालय से विषय विशेषज्ञों द्वारा लोगो को प्रशिक्षित किया जाता है।
"मुख्य योग शिक्षक शिविर" पतंजलि योगपीठ द्वारा आयोजित एक विशेष योग प्रशिक्षण शिविर है, जिसका उद्देश्य लोगों को योग की गहन शिक्षा देकर उन्हें योग शिक्षक के रूप में तैयार करना है। पतंजलि योगपीठ, जो योग ऋषि परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज और वैद्यराज आचार्य बालकृष्ण जी महाराज द्वारा स्थापित है, जिन्होंने योग और आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य जागरूकता और नैतिक जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए यह मुख्य योग शिक्षक शिविर शुरू किए हैं।
स्वच्छता अभियान एक सामाजिक अभियान है जो लोगों को स्वच्छ और स्वस्थ जीवनशैली की ओर प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रहा है। इसके माध्यम से समाज में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास हो रहा है ताकि हर व्यक्ति अपना योगदान देकर इस मुहिम में शामिल हो सके और भारत को स्वच्छ बनाने का सपना साकार हो सके। स्वच्छता अभियान का मुख्य उद्देश्य भारत को स्वच्छ बनाने के लिए लोगों को जागरूक करना है। इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में सफाई और स्वच्छता के प्रति लोगों की जिम्मेदारी को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है।
वृक्षारोपण सिर्फ पर्यावरण को बचाने का कार्य नहीं है, बल्कि यह पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए हमारी जिम्मेदारी भी है। इसे एक जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता है ताकि हर व्यक्ति इसमें योगदान कर सके। हम सभी को मिलकर वृक्षारोपण के महत्व को समझना और इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए, तभी हम एक स्वच्छ, हरा-भरा और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं। वृक्षारोपण का अर्थ है पेड़ लगाना, जो पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। वृक्ष पृथ्वी के फेफड़े कहे जाते हैं, क्योंकि वे न केवल हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, बल्कि पृथ्वी के वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को भी अवशोषित करते हैं।
रक्तदान एक महत्वपूर्ण और मानवता के प्रति कृतज्ञता भाव से जुड़ा हुआ कार्य है जिसमें व्यक्ति स्वेच्छा से अपना रक्त देता है ताकि स्वास्थ्य इकाइयों में इसकी आवश्यकता होने पर इसका उपयोग किया जा सके। रक्तदान से एक व्यक्ति अपने समुदाय में सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और दूसरों की जिन्दगी बचाने में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकता है। रक्तदान कैंप, ब्लड बैंक, और चिकित्सा संस्थानों के माध्यम से रक्तदान के लिए अवसर प्रदान किए जाते हैं, और इसका प्रोत्साहन करने के लिए पतंजलि के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट और युवा भारत के द्वारा अनेक जगहों पर रक्तदान शिविर आयोजित किए जाते हैं।
आपदा राहत, किसी भी प्राकृतिक या मानवनिर्मित आपदा के पीड़ितों को सहायता प्रदान करने के लिए संगठित प्रयासों का समूह होता है। जब कोई आपदा, जैसे कि भूकंप, बाढ़, तूफान, आग, या अन्य घटनाएं होती हैं, तो इससे पीड़ित लोगों को त्वरित और आवश्यक सहायता पहुंचाई जाती है। पतंजलि के सभी संगठनों का प्रत्येक कार्यकर्ता देश की किसी भी आपदा जैसी स्थिति में अपने आप को पूर्ण रूप से समर्पित कर देता है| पतंजलि संस्थान देश की किसी भी आपदा की स्थिति में तन, मन और धन से हमेशा समर्पित रहा है|
भारतीय संस्कृति में ‘यज्ञ, योग एवं आयुर्वेद’ जैसी अमूल्य विद्याएं एवं विधाएं हैं, जो इस संस्कृति की ‘मुकुटमणि’ है। इतिहास की ओर दृष्टि डालें तो ‘भगवान् श्रीराम, भगवान् श्रीकृष्ण’ से लेकर राजा- महाराजाओं, ग्रामवासियों व अरण्यवासी-ऋषियों की कुटियों तक नित्य व नैमित्तिक यज्ञ का प्रचलन देखने को मिलता है, जो सार्वभौमिक, वैज्ञानिक एवं पंथनिरपेक्ष पावनी परंपरा है। गीता के अध्याय-3 के 14-15 श्लोक में बताया गया है कि सृष्टि चक्र की स्थिति यज्ञ पर निर्भर बतलाकर और परमात्मा को यज्ञ में प्रतिष्ठित कहकर अब उस यज्ञ रूप स्वधर्म के पालन की अवश्य कर्तव्यता सिद्ध करने के लिये उस सृष्टि चक्र के अनुकूल न चलने वाले की यानी अपना कर्तव्य पालन न करने वाले की निन्दा करते हैं-
नशा मुक्ति अभियान एक महत्वपूर्ण कदम है जो समाज में नशे के प्रभावों को कम करने का प्रयास कर रहा है। नशा, चाहे यह शराब, तंबाकू, या मादक पदार्थों का सेवन हो, समाज के लिए एक बड़ा समस्या बन गया है। यह समस्या न केवल व्यक्ति के स्वस्थता को प्रभावित करती है, बल्कि परिवार और समाज की स्थिति को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती है। नशा मुक्ति अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को नशे के दुष्प्रभावों से बचाना और उन्हें नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करना है।
पतंजलि के विभिन्न संगठनों द्वारा शहरीय और खास कर ग्रामीण क्षेत्रों में आरोग्य सभाएं आयोजित की जाती है, जिसमें योग, आयुर्वेद के साथ साथ जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं पर चर्चा होती है| "आरोग्य सभा" एक विशेष प्रकार की सभा या बैठक होती है जो स्वास्थ्य और सेहत से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा के लिए आयोजित की जाती है। इसमें स्वास्थ्य संबंधित जागरूकता, बीमारियों की रोकथाम, उचित खानपान और जीवनशैली से संबंधित विषयों पर जानकारी दी जाती है। यह सभाएं अक्सर समाज के विभिन्न वर्गों तक स्वास्थ्य सेवाओं और जानकारी पहुँचाने के लिए आयोजित की जाती हैं।