भारत-स्वाभिमान (स्वरूप, योजना, उद्देश्य एवं नियमावली)

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100 प्रतिशत मतदान, 100 प्रतिशत राष्ट्रवादी चिन्तन, 100 प्रतिशत विदेशी कम्पनियों का बहिष्कार व स्वदेशी को आत्मसात् करके, देशभक्त लोगों को 100 प्रतिशत योगमय भारत का निर्माण कर स्वस्थ, समृद्ध संस्कारवान् बनाना-यही है 'भारत स्वाभिमान' का अभियान। यही है इसे आत्मसात करने वाले सदस्यों की प्रतिज्ञायें। इसी से आयेगी देश में नई आजादी व नई व्यवस्था और भारत बनेगा महान् और राष्ट्र की सबसे बड़ी समस्या-भ्रष्टाचार का होगा पूर्ण समाधान। जगत् की दौलत, पद, सत्ता, रूप एवं ऐश्वर्य के प्रलोभन से योगी ही बचा सकता है। अतः राष्ट्र-जागरण के इस भारत स्वाभिमान के अभियान में प्रत्येक योग-शिक्षक, कार्यकर्त्ता एवं सदस्य का योगी होना उसकी प्राथमिकता एवं अनिवार्य शर्त है क्योंकि योग न करने के कारण अर्थात् योगी न होने से आत्मविमुखता पैदा होती है। और आत्मविमुखता का ही परिणाम हैं- बेईमानी, भ्रष्टाचार, हिंसा, अपराध, असंवेदनशीलता, अकर्मण्यता, अविवेकशीलता, अजागरूकता, अजितेन्द्रियता, असंयम एवं अपवित्रता।

राष्ट्रहित में पाँच प्रतिज्ञाएँ

हम अपने देश के प्रत्येक व्यक्ति में योग के माध्यम से आत्म परिवर्तन लाकर उनके शरीर, मन और विचार प्रक्रिया को स्वस्थ बनाने के साथ-साथ उन्हें मजबूत नैतिक चरित्र वाला बनाना चाहते हैं, जिससे हमारा देश हर तरह से मजबूत हो सके। इस संबंध में विशेष प्रशिक्षण शिविरों में सभी योग साधकों को पांच प्रतिज्ञाएं दिलाई जाएंगी। आप भी ये प्रतिज्ञाएँ ले सकते हैं और अपने जिले के प्रत्येक योग शिक्षक, विशिष्ट सदस्य, कार्यकारी सदस्य, सामान्य सदस्य और आम आदमी को भी दे सकते हैं और इस प्रकार एक स्वस्थ समृद्ध और मूल्य आधारित भारत बनाने में योगदान दे सकते हैं: वे इस प्रकार हैं:

कार्य दर्शन

गुरु सत्ता व भगवत् सत्ता को सर्वोच्च मानकर पूर्ण समर्पण, सामर्थ्य, पुरुषार्थ एवं समग्र पराक्रम, (अक्रामकता) के साथ स्वधर्म, स्वकर्तव्य-कर्म का निर्वहन करते हुए साधना एवं राष्ट्र पुरुष की आराधना करना ही हमारे जीवन का ध्येय है। जीवन में प्राप्त होने वाला ज्ञान, समृद्धि, सफलता, सिद्धि, साम्राज्य, वैभव, यश आदि सम्पूर्ण विरासत को गुरु एवं भगवत् कृपा का प्रसाद मानकर सदा निराभिमानी रहना, यही हमारा कार्यदर्शन है।

हमारा ध्येय वैभवशाली भारत का निर्माण

हम देश के 6,38,365 गाँवों व शहर के प्रत्येक व्यक्ति तक भारत-स्वाभिमान की नीतियों व उद्देश्यों का संदेश लेकर जायेंगे और एक स्वस्थ, समर्थ, संस्कारवान् व शक्तिशाली भारत बनाकर ही दम लेंगे। वर्ष 2009-2010 में भारत-स्वाभिमान के मुख्यालय पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार में हमने लगभग ढाई लाख देशभक्त व कर्त्तव्यनिष्ठ भाई-बहनों को योग से आरोग्य एवं चरित्र निर्माण की शिक्षा देकर उनको मुख्य योगशिक्षक एवं भारत स्वाभिमान के वरिष्ठ कार्यकर्ता के रूप में तैयार किया है। ये ढाई लाख राष्टभक्त व जागरूक योगी भाई-बहन सम्पूर्ण ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में लगभग 9 लाख 50 हजार अपने जैसे स्वाभिमानी विशिष्ट सदस्य एवं कार्यकर्ता सदस्य तैयार करेंगे। इस प्रकार कुल लगभग 11 लाख 50 हजार योगी भाई-बहन देश को निरोगी व निर्व्यसनी बनाते हुए उनको राष्ट्रवाद व अध्यात्मवाद का संदेश देने के साथ-साथ भारत स्वाभिमान की नीतियों के बारे में बतायेंगे। हमारा एक देशभक्त व ईश्वरभक्त योगशिक्षक देश के लगभग 1000 योगी भाई-बहनों को योग कराता हुआ उनको भारत स्वाभिमान के साथ जोड़ेगा। इस कार्य योजना के तहत देश के अन्तिम व्यक्ति तक अर्थात् 115 करोड़ लोगों तक हम योग और भारत-स्वाभिमान का संदेश पहुँचायेंगे और यदि एक वाक्य में भारत-स्वाभिमान आंदोलन की व्याख्या करें तो योग आरोग्य देकर देशवासियों के तन की रक्षा करेंगे तथा जाति, मजहब, प्रान्त एवं भाषाओं की संकीर्णताओं में बटे राष्ट्र को योग से संगठित करके जनशक्ति का राजशक्ति पर नैतिक नियंत्रण या अंकुश रखकर वतन की रक्षा करेंगे और लोकसत्ता से राजसत्ता को देशहित में सवदेशी नीतियों व व्यवस्थाओं को लागू करवाने के लिए बाध्य करेंगे और हम आधी-अधूरी आजादी के स्थान पर सम्पूर्ण आजादी के साथ जीयेंगे। इस प्रकार यह हमारा पूरा आन्दोलन कोई काल्पनिक भ्रम या सपना नहीं अपितु एक व्यवहारिक व यथार्थ से जड़ा हुआ शाश्वत सत्य है। और सत्य हमेशा विजयी होता है। "सत्यमेव जयते।'

सब प्रश्नों का एक समाधान भारत स्वाभिमान। अतः आइए आप स्वयं इस आध्यात्मिक व सामाजिक आंदोलन से जुड़िए और अपने अन्य मित्रों व परिजनों को इस ऐतिहासिक अभियान व क्रान्ति से जोड़कर मातृभूमि के प्रति अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन कीजिए।