योग सार्वभौमिक, सार्वकालिक एवं सार्वजानिक महत्त्व की ऋषि-मुनियों की एक अनमोल विरासत है। “योगः कर्मसु कौशलम्” कर्मों की कुशलता ही योग है| इस योग को जीवन में अपनाने से बन्धन स्वभाव वाले कर्म भी योगी को बन्धन में नहीं डाल पाते हैं। शुद्ध ज्ञान, शुद्ध कर्म एवं शुद्ध उपासना अर्थात् ज्ञानयोग, कर्मयोग एवं भक्तियोग - यह योग की त्रिवेणी है। यह मात्र एक ऐसा दर्शन है, जिसके सबल सैद्धान्तिक पक्ष का ही नहीं अपितु उन्हें बोध् कराने वाले क्रियात्मक साधनों का भी ऋषियों ने प्रतिपादन किया है, जिन्हें आचरण में लाकर प्रत्येक मनुष्य अपना कल्याण अपने हाथों करने की योग्यता व क्षमता प्राप्त कर लेता है। करोड़ों लोगों को हजारों योग-शिविरों, आस्था एवं संस्कार टी.वी. चैनल्स व सोशन मीडिया के माध्यम से योग सिखाने व उसके परिणामों को देखने के उपरान्त मैं इस तथ्य पर पहुँचा हूँ कि योग से जीवन व जगत् से सम्बद्ध समस्त समस्याओं और विषमताओं पर नियन्त्रण व विजय प्राप्त की जा सकती है। योग विज्ञान सम्मत जीवनशैली का नाम हैं, जिससे व्यक्ति का सम्पूर्ण व्यक्तित्व सकारात्मक रूप में प्रभावित होता है। इससे व्यक्ति न केवल आधि, व्याधि, व उपाधि से मुक्त होता है, अपितु समाधि की प्राप्ति भी कर लेता है। प्रतिदिन योग करने से व्यक्ति के जीवन से रोग, शोक, क्षुद्रता, तनाव, अवसाद, आत्मग्लानि, मोह व दरिद्रता आदि व्यक्ति की कमजोरियाँ समाप्त हो जाती हैं ऐसे लोगों से युक्त समाज समतापूर्ण, प्रगतिशील होता है तथा राष्ट्र समृद्ध व समर्थ बन जाता है। अतः पूरा विश्व प्रातः उठकर प्रतिदिन योग करे, ऐसा मेरा स्वप्न है। प्रस्तुत ‘दैनिक योगाभ्यास’ में प्रमुखतया योग के उन्हीं क्रियात्मक साधनों का समावेश किया गया है, जिन्हें हमने देश व दुनियाँ के करोड़ों लोगों को योग सिखाते हुए उनके अद्भुत परिणामों को न केवल अपनी आँखों से प्रत्यक्ष देखा है बल्कि लोगों के अनुभवों को सुना जाता है, अपितु विज्ञान की कसौटी पर कसकर सिद्ध भी किया है। प्रस्तुत दैनिक योग पैकेज में तन और मन दोनों को समानरूप से स्वस्थ रखने पर ध्यान दिया गया है, जो कि प्रत्येक सामान्यतः स्वस्थ व्यक्ति के लिए उपयोगी, सहयोगी व निरापद हैं। व्यस्त दिनचर्या वालों के लिए यह एक रामबाण है।