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योग ऋषि परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज

जीवन भगवान् की सबसे बडी सौगात है। यह मनुष्य का जन्म हमारे लिए भगवान् का सबसे बडा उपहार है। जीवन बेशकीमती है, जीवन को छोटे उद्देश्यो के लिए जीना जीवन का अपमान है। अपनी शक्तियों को तुच्छ कामों मे व्यर्थ करना, व्यसनों एव वासनाओं में जीवन का बहुमूल्य समय बर्बाद करना, जीवन का तिरस्कार है। जीवन अनन्त है, हमारी शक्तियाँ भी अनन्त है, हमारी प्रतिभाए भी विराट है। हम अपनी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व आध्यात्मिक शक्तियों का लगभग 5 प्रतिशत ही उपयोग कर पाते है। हमारी अधिकांश शक्तियाँ सुप्त ही रह जाती है। यदि हम अपनी आंतरिक क्षमताओं का उपयोग करे तो हम पुरुष से महापुरुष, युगपुरुष, मानव से महामानव बन जाते है। हमारी मानवीय चेतना मे वैश्विक चेतना अवतरित होने लगती है और दुनिया भ्रमवश इन्सान को भगवान की तरह पूजने लगती है। योगेश्वर श्री कृष्ण, मर्यादा पुरुषोत्तम राम, महायोगी शिव, भगवत्ता को प्राप्त महावीर स्वामी, समर्पण से सम्बोधि को प्राप्त हुए गुरुनानक देव, गुरुगोविन्द सिंह, महर्षि दयानन्द, स्वामी विवेकानन्द मे जो अलौकिक शक्तियाँ या सिद्धियां थीं, वे समस्त शक्तियाँ हमारे भीतर सन्निहित है। योगी को कभी भी स्वयं को दीन-हीन दु:खी, असहाय या अकेला नहीं मानना चाहिए। प्रतिफल “अहं ब्रहमास्मि” मै विराट हूँ। मैं परमात्मा का प्रतिनिधि हूँ। इस पृथ्वी पर मेरा जन्म एक महा्न् उद्देश्य को लेकर हुआ है। मुझमें धरती सा धैर्य, अग्नि जैसा तेज, वायु सा वेग, जल जैसी शीतलता व आकाश जैसी विराटता है। मेरे मस्तिष्क मे ब्रहमाण्ड सा ब्रह्म तेज, मेधा, प्रज्ञा व विवेक है।

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स्वामी जी महाराज के कार्यों को व्यापक स्वीकारोक्ति/सम्मान

( योग ऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज )

आयुर्वेद शिरोमणि आचार्य बालकृष्ण जी महाराज

आयुर्वेद शिरोमणि आचार्य बालकृष्ण जी महाराज एक गतिशील व्यक्तित्व हैं और पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के संस्थापक सचिव हैं। वे पतंजलि इकाइयों और उप-इकाइयों के समूहों का प्रबंधन कर रहे हैं और संबंधित इकाइयों के प्रमुखों के साथ समन्वय और संपर्क में बेहतर प्रदर्शन के लिए सार्थक दिशा-निर्देश दे रहे हैं। उनमें वे सभी गुण मौजूद हैं जो उन्हें दूसरों से अलग बनाते हैं, सबसे सराहनीय है धैर्यपूर्वक सुनना, कम बोलना और आम जनता के हित में अधिक काम करना। आचार्य बालकृष्ण शांत स्वभाव वाले मौन कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं।

स्वर्गीय आचार्य श्री बलदेव जी के मार्गदर्शन में कलवा (जींद, हरियाणा) के गुरुकुल में गुरु-शिष्य परम्परा में शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे एक महान दूरदर्शी, अत्यंत तपस्वी, ऊर्जावान, परिश्रमी, सरल, सहज और बहुआयामी कौशल वाले बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी हैं, जो निरंतर अपने हृदय की गहराई से मानवता की सेवा में लगे रहते हैं।

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